कोस लेता हूँ खुद ही खुद को, उपलब्धियों पर पिठ थपथपाने वाले चाहिए मुझे । दुख में अकेला ही काफ़ी हूँ सुख में अपनों का साथ चाहिए मुझे, अक्सर रो तो लेता हूँ अकेले में छुप के हँसने के लिए महफ़िले चाहिए मुझे। अंधेरे पार कर लूंगा बिन परछाई भी बस उजालों में सब साथ चाहिए मुझे, रात कट जायगी बिन जुगनूओ भी बस पहली किरण के साथ चहचहाट चाहिए मुझे बस पहली किरण के साथ चहचहाट चाहिए मुझे। कोस लेता हूँ, खुद ही खुद को उपलब्धि पर पिठ थपथपाने वाले चाहिए दुख में अकेला ही काफ़ी हूँ सुख में अपनों का साथ चाहिए मुझे अक्सर रो तो लेता हूँ अकेले में छुप के