क्या पता कब यमदूतो का चुनिन्दा हो जाऊ, पता नहीं कब आसमान का परिंदा हो जाऊ, जनाज़ा गुजरेगा जब तेरी गली से मेरा, सामने आ जाना क्या पता मैं जिन्दा हो जाऊ। #KaviSonitKumar ©कवि सोनित कुमार ख्वाहिश दिल की।