( प्रवासी ) क्या इस देश के वासी हैं, अगर हम नहीं है इंसान तो मार दो हमें, दे दो फरमान खाने को तो कुछ ना मिल पाया, भूख लगी तो डंडा खाया फासले तय किए हजारों मील के, कुछ साईकिल पर कुछ पैर नंगे मरे कई भूख से, और कई धूप से पर हिम्मत ना टूटी, बड़ो के झूठ से बस से भेज कर, रेल से भेज कर जान खो बैठे, रास्ते भूल कर यहां प्रतिमाओं की बड़ी हस्ती पर इंसानों की जान है सस्ती बड़े सपने अच्छे दिन बतलाए पर भूख किसी की मिटा ना पाए ना चाहिए भीख ना दान, बस ना छिनिए आत्मसम्मान हम तो बस प्रवासी हैं क्या इस देश के वासी हैं।। @mukesh_inscribe# #प्रवासी