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निश्छल निमित अनंत आकाश सागर जैसी गहराई है पास वि

निश्छल निमित अनंत आकाश 
सागर जैसी गहराई है पास 
विचारों की एक उथल पुथल 
मानव मन मत घबराना 
लक्ष्य प्राप्ति के लिए आगे बढ़ते जाना 
आत्मविश्वास के बल पर 
एक नई राह बनाना 
हे मानव तुम आगे बढ़ते जाना। 
कवि कौटिल्य

©Kavi Pawan Kumar Sharma kautliya #Good morning

#Wish
निश्छल निमित अनंत आकाश 
सागर जैसी गहराई है पास 
विचारों की एक उथल पुथल 
मानव मन मत घबराना 
लक्ष्य प्राप्ति के लिए आगे बढ़ते जाना 
आत्मविश्वास के बल पर 
एक नई राह बनाना 
हे मानव तुम आगे बढ़ते जाना। 
कवि कौटिल्य

©Kavi Pawan Kumar Sharma kautliya #Good morning

#Wish