"बोलती हुई औरतों, बोलती रहना तुम" बोलती हुई औरतें, कितनी खटकती हैं ना.. सवालों के तीखे जवाब देती बदले में नुकीले सवाल पूछती कितनी चुभती है ना...!! लाज स्त्री का गहना है, इस आदर्श वाक्य का मुंह चिढ़ाती तमाम खोखले आदर्शों को, अपनी स्कूटी के पीछे बांधकर खींचती घूरती हुई नज़रों से नज़रें भिड़ाती कितनी बुरी लगती हैं ना औरतें...!! सदियों से हमें आदत है झुकी गर्दन की जिसे, याद हो जाए पैरों की हर एक रेखा.. जिसका सर हिले हमेशा सहमति में, जिसके फैसले के अधिकार की सीमा सीमित हो महज़ रसोई तक...!!