अरे मधु, सुरेश, बिना बताए अचानक, सब सही है ना ? प्रभाकर के प्रश्न' अभी खत्म नहीं हुए कि मधु प्रभाकर से लिपट कर रोने लगी... मधु के इस व्यवहार को देखकर, प्रभाकर पूछ पङा. मधु' क्या हुआ ? तुम रो क्यों रही हो... ससुराल में सब ठीक है ना, मधु के उत्तर ना मिलने पर प्रभाकर, सुरेश के तरफ देखा, और पूछा..... क्या बात है सुरेश ? अचानक बिना बताए यहां , और मधु' रो क्यों रही है ? सुरेश कुछ बोलना चाहा कि मधु बोल पङी, भइया, मैं अब ससुराल नही जाऊगीं। क्यों क्या बात हो गई ? बताओ क्या बात है, मधु कें बातों को सुनकर प्रभाकर बोला। सुरेश बताओ , क्या बात हैं ....हिचकिचाते हुये सुरेश बोला, भैया, मधु घर में अलग रहने की मांग कर रही है... इसी को लेकर आज घर में, काफी झगड़ा हुआ... इसलिए मधु को कुछ दिन के लिए यही छोड़ने आया हूं, सुरेश की बात पूरी हुई नहीं कि मधु बोल पड़ी, कुछ दिन के लिए नहीं, जब तक तुम अलग घर नहीं ले लेते, तब तक के लिए यहीं रहूंगी, मधु और सुरेश की बातों को सुनकर प्रभाकर बोला, मधु ' तुम पागल तो नहीं हो गई हो, अलग घर, अरे... काफी प्रश्न उठेंगे, जिसका उत्तर , तुम्हारे पास नहीं होंगे। प्रभाकर की बातों को काटते हुए सुरेश बोला, प्रश्न तो मेरे मन में काफी है, पर इसका उत्तर मधु देना नहीं चाहती। तुम्हारा प्रश्न बेबुनियाद हैं। आंसू पोछती हुयी मधु बोली। प्रभाकर, मधु के हाथ पकड़कर बोला, 'मधु अभी तुम्हारी शादी को 2 साल हुए, इतना जल्दी अलग होने का फैसला गलत है। प्रभाकर की बातें सुनकर, मधु बोली, भैया मैं रोज-रोज के झगड़ों, तानों से तंग आ गई हूं... तभी सुरेश बोल पङा, गलती तो तुम्हारी भी तो होती है। प्रभाकर से हाथ छुङाकर ,सुरेश को घुरती हुयी मधु बोली , क्या गलती....? मधु की बात पुरी हुयी नही कि प्रभाकर बोला, मधु, इधर आओ बैठों यहा, और मेरी बात सुनो... देख मधु, यह फैसला गलत है, परेशानी तो हर जगह हैं मधु, पर इसका यें मतलब नहीं कि हम परेशानी से भागे, पर भैया...