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कठिनतम परिक्षा होती है अपमान, जल के राख हो सकता अप

कठिनतम परिक्षा होती है अपमान,
जल के राख हो सकता अपमानित,
अभिप्रेरणा भी बन सकता अपमान,
अपमान में होती चरित्र की पहचान,
मन पर अगर बुद्धि ने नियंत्रण किया,
बुद्धि को आत्मा का संपर्क मिला हो,
अपमान में मनुष्य कभी नही जलेगा,
अपमान से सबक सीख आगे बड़ेगा,
मन के वश जब हम रहने लगते हैं,
 अपमान में घृणा की आग से जलते हैं।।

 प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कलमकार-की- तलाश✍✍ का followers होना अनिवार्य है अन्यथा आपकी रचना स्वीकार नही की जायेगी ।

👉  Collab पुर्ण करने के पश्चात दिए हुए पेज में comment में Done लिखकर ही mention करे , अन्यथा मान्य नही होगा ।

👉  कृपया एक रचनाकार द्वारा एक ही comment किया जाए ।

👉  कृपया एक प्रतियोगी एक ही एक ही रचना करे, 
अन्यथा आपकी रचना अमान्य कर दी जाएगी ।
कठिनतम परिक्षा होती है अपमान,
जल के राख हो सकता अपमानित,
अभिप्रेरणा भी बन सकता अपमान,
अपमान में होती चरित्र की पहचान,
मन पर अगर बुद्धि ने नियंत्रण किया,
बुद्धि को आत्मा का संपर्क मिला हो,
अपमान में मनुष्य कभी नही जलेगा,
अपमान से सबक सीख आगे बड़ेगा,
मन के वश जब हम रहने लगते हैं,
 अपमान में घृणा की आग से जलते हैं।।

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