नमन् सुशांत, पुण्यतिथि पर ©Kavi Narendra Gurjar समझ में नहीं आता ये दुनिया का कैसा तमाशा है ? जब तक इंसान जिंदा है तब तक खुशी है और तब तक निराशा है, जो तन्हाई में पुछते नहीं