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हर्फ़ की स्याही से दिल के अल्फाज़ लिख रही हूँ, टूटे

हर्फ़ की स्याही से दिल के अल्फाज़ लिख रही हूँ,
टूटे दिल के दर्द का मैं हर एक राज़ लिख रही हूँ।

बनावटी इश्क औ मुखौटी चेहरे में जो आया था,
उतरते चेहरे के नकाब का मैं आज़ लिख रही हूँ।

जीवन भर साथ मांगा,न मांगा नायाब तोहफ़ा,
खूबसूरत दीवारों में सिसकती मुमताज़ लिख रही हूँ।

हुस्न की मल्लिका, दिल की शहजादी कह बुलाते थे,
फ़रेबी इश्क़ का आज शाही अंदाज़ लिख रही हूँ।

लाख जतन करके भी 'स्नेहा' न मिले, रूह को सुकून,
बेजान मकबरे में आहें भरता दर्दे ताज़ लिख रही हूँ। #स्नेहा_अग्रवाल
#मैं अनबूझ पहेली
हर्फ़ की स्याही से दिल के अल्फाज़ लिख रही हूँ,
टूटे दिल के दर्द का मैं हर एक राज़ लिख रही हूँ।

बनावटी इश्क औ मुखौटी चेहरे में जो आया था,
उतरते चेहरे के नकाब का मैं आज़ लिख रही हूँ।

जीवन भर साथ मांगा,न मांगा नायाब तोहफ़ा,
खूबसूरत दीवारों में सिसकती मुमताज़ लिख रही हूँ।

हुस्न की मल्लिका, दिल की शहजादी कह बुलाते थे,
फ़रेबी इश्क़ का आज शाही अंदाज़ लिख रही हूँ।

लाख जतन करके भी 'स्नेहा' न मिले, रूह को सुकून,
बेजान मकबरे में आहें भरता दर्दे ताज़ लिख रही हूँ। #स्नेहा_अग्रवाल
#मैं अनबूझ पहेली