बचपन और पिटाई था बहुत शौक मीठा खाने का, यूँ न मिले तो चुपके से खा लेने का, हम कभी चोरी नहीं करते थे, हम तो बस चुपके से थोड़ी लिया करते थे। आ जाती जो माँ तो मुंह में ठूंस लेते, माँ कुछ कहती चुपके खड़े रहते। जब देर तक कोई जबाब नहीं आता , माँ का गुस्सा उबाल मारता, बोलती क्या है मुंह में दिखा तो मुझे, और जब मुंह खोलती तो मिलता कुछ न उन्हें, निगल लेते मिठाई स्वाद आता ही नहीं, चुपके से ली हुई मिठाई का मजा आता नहीं। #मिठाई #बचपनकीयादें #माँ