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संदूक में यादों के महकते गुलाब हैं, वहाॅं बचपन की

संदूक में यादों के महकते गुलाब हैं,
वहाॅं बचपन की यादें और ढेरों  ख़्वाब हैं।

मैं माॅंग लूॅं दुआ में बचपन  का प्यार,
अम्मा का लाड़ पापा का गुस्सा बेहिसाब है।

सारे बच्चों में मैं सबसे खुशनसीब थी,
दादा की दुध-रोटी में मेरा ही मेरा रुआब है।

काजल-टीका मेरी माॅं के हाथ का,
बड़ी माॅं की गोद में चंदा और आफताब है।

पापा की गोद में बाज़ार  की सैर,
पापा उस ज़माने से मेरे पक्के  अहबाब हैं।

'भाग्य' कोई लुटाता हो बचपन तो ले लूॅं,
बचपन गया जिम्मेदारियाॅं अब अज़ाब है। #kkबैरागीश्री 
#kkकविसम्मेलन3 
#kkकविसम्मेलन 
#विशेषप्रतियोगिता 
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#मेरी_बै_रा_गी_कलम  
#एक_और_ग़ज़ल
संदूक में यादों के महकते गुलाब हैं,
वहाॅं बचपन की यादें और ढेरों  ख़्वाब हैं।

मैं माॅंग लूॅं दुआ में बचपन  का प्यार,
अम्मा का लाड़ पापा का गुस्सा बेहिसाब है।

सारे बच्चों में मैं सबसे खुशनसीब थी,
दादा की दुध-रोटी में मेरा ही मेरा रुआब है।

काजल-टीका मेरी माॅं के हाथ का,
बड़ी माॅं की गोद में चंदा और आफताब है।

पापा की गोद में बाज़ार  की सैर,
पापा उस ज़माने से मेरे पक्के  अहबाब हैं।

'भाग्य' कोई लुटाता हो बचपन तो ले लूॅं,
बचपन गया जिम्मेदारियाॅं अब अज़ाब है। #kkबैरागीश्री 
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