(SHLOKA Composed by me in "Indrawajrachand") (मेरे द्वारा रचित श्लोक इन्द्रवज्रा छन्द मे)🙏 (सृष्टो मयेन्द्रवज्राछन्दसि।)🙏 ✍️(कवि:-देवप्रिय: आयुष:) (Poet-DevPriyA AyusH)✍️ सास्मर्यते देवगणाधिपैर्या दिदृक्षते याम्प्रकृतिस्वरूपाम्। ईप्सन्ति याम् वै सुरलोकपालाः मूढाम्मतिम्मे विपुलीक्रियात् सा।। ✍️✍️आंग्लभाषायामनुवाद:✍️✍️ The desire to see the Goddess of nature, who is not able to see even after being remembered by the superior gods in the group of gods.The Goddess whom the deity and Lokpal also desire to get.That goddess unleash my foolish intellect. ✍️✍️हिन्द्याम्भाषायामनुवादः✍️✍️ जिन प्रकृतिस्वरूपा देवी का देवो के समुह मे श्रेष्ठ देवता भी बार बार स्मरण करते है।एवं अतिशय स्मरण के पश्चात भी वो जिनका दर्शन कर पाने मे समर्थ ना हो पाने से जिनहे देखने कि इच्छा रखते है।जिन देवी को प्राप्त करने कि इच्छा निरन्तर ही देवताओं और लोकपालों के द्वारा भी कि जाती है।वह देवी मेरी मूढ़ मति को दोष रहित करें। ✍️(आयुषशतकम्)✍️ ©Ayush Mishra #LoveSanskrit# #vacation