महाकाल क़त्ल कीया है तुने, इंसानियत के भाव को । ये तो एकमात्र उदाहरण है, भला कौन रोक सका है ईश्वर के प्रभाव को । वक़्त है अब भी सम्भल जा । वक़्त रहते तु बदल जा । बहुत खेला खेल तु । अब प्रकृति की मार झेल तु । जो तु न सम्भलेगा । तो स्वयं अल्लाह तेरी, दशा दिशा बदलेगा । हम सब जानते हैं । हम माने या न माने, कहीं न कहीं हम, सच को जानते है । ऐ मेरे मौला । दे सबको हौसला । न तो शिकायत है तुझसे, न है कोई गीला । जो हुआ, जो हो रहा है, हमारे कर्मों का हमें फल है मिला । बद से भी बदतर ये साल है । इंसानों से बेहतर तो जानवरों का हाल है । हर किसी की ज़िंदगी बेहाल है । फ़िर भी हमें यकीं है उस पर, जो है अद्भुत, बड़ा ही कमाल है । नाम जिसका महाकाल है । ज्योत्सना २४ ©Jyotshna 24 mahakaal #kavita#mahakaal#nojoto