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महाकाल क़त्ल कीया है तुने, इंसानियत के भाव को ।

महाकाल 

क़त्ल कीया है तुने,
इंसानियत के भाव को ।
ये तो एकमात्र उदाहरण है,
भला कौन रोक सका है ईश्वर के प्रभाव को ।

                                              वक़्त है अब भी सम्भल जा ।
                                       वक़्त रहते तु बदल जा ।
                                  बहुत खेला खेल तु ।
                                            अब प्रकृति की मार झेल तु ।

जो तु न सम्भलेगा ।
तो स्वयं अल्लाह तेरी,
दशा दिशा बदलेगा ।

                            हम सब जानते हैं ।
                             हम माने या न माने,
                         कहीं न कहीं हम,
                           सच को जानते है ।

ऐ मेरे मौला ।
दे सबको हौसला ।
न तो शिकायत है तुझसे,
न है कोई गीला ।
जो हुआ, जो हो रहा है,
हमारे कर्मों का हमें फल है मिला ।

                                     बद से भी बदतर ये साल है ।
                                                        इंसानों से बेहतर तो जानवरों का हाल है ।
                                          हर किसी की ज़िंदगी बेहाल है ।
                                     फ़िर भी हमें यकीं है उस पर,
                                           जो है अद्भुत, बड़ा ही कमाल है ।
                                                                     नाम जिसका महाकाल है ।                                   
                 
ज्योत्सना २४

©Jyotshna 24 mahakaal

#kavita#mahakaal#nojoto
महाकाल 

क़त्ल कीया है तुने,
इंसानियत के भाव को ।
ये तो एकमात्र उदाहरण है,
भला कौन रोक सका है ईश्वर के प्रभाव को ।

                                              वक़्त है अब भी सम्भल जा ।
                                       वक़्त रहते तु बदल जा ।
                                  बहुत खेला खेल तु ।
                                            अब प्रकृति की मार झेल तु ।

जो तु न सम्भलेगा ।
तो स्वयं अल्लाह तेरी,
दशा दिशा बदलेगा ।

                            हम सब जानते हैं ।
                             हम माने या न माने,
                         कहीं न कहीं हम,
                           सच को जानते है ।

ऐ मेरे मौला ।
दे सबको हौसला ।
न तो शिकायत है तुझसे,
न है कोई गीला ।
जो हुआ, जो हो रहा है,
हमारे कर्मों का हमें फल है मिला ।

                                     बद से भी बदतर ये साल है ।
                                                        इंसानों से बेहतर तो जानवरों का हाल है ।
                                          हर किसी की ज़िंदगी बेहाल है ।
                                     फ़िर भी हमें यकीं है उस पर,
                                           जो है अद्भुत, बड़ा ही कमाल है ।
                                                                     नाम जिसका महाकाल है ।                                   
                 
ज्योत्सना २४

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