रुसवा होकर कलम की बेवफाई से मुँह मोड़ लिया है लफ़्ज़ों ने आशनाई से । तोहमत है कलम पर पज़राई का समझ न सकी जो मर्म लफ़्ज़ों की बीनाई का - अदिती कपीश अग्रवाल पज़राई - जो कुबूल न किया जा सके बीनाई - निपुणता ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1003 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।