अपने से लगते हो, अपनो सी बात करते हो, बिखरे हुए रिश्तों के जब संवरने की बात करते हो। दराज हो उम्र, अब ये मुमकिन कहा से हो, चलाते हो तीर नजरो से, सीधे सीने पे वार करते हो। मैं बंट गया टुकड़ों में, तुमने उफ्फ तलक ना की, चीख चीख कर तुम अपनी खरोंचों की बात करते हो। वो शोख सी हंसी थी, मैं जिसपर मर मिटा था, अब रों भी नहीं पाता, तुम कहकहो की बात करते हो। अपने से लगते हो, अपनो सी बात करते हो, बिखरे हुए रिश्तों की जब संवरने की बात करते हो। #nojoto