कोई सौदागर है कोई जादूगर ,कोई कलाकार कोई बेरोजगार है कोई अन्धी दौड़ मे है,कोई बंदी पटा चौड़ मे है कोई ऑफ़िस मे घंटो घीस रहा कोई ऑफ़िस के लिये घंटो घीस रहा कोई दिन मे फूंक रहा चालिस बार,कोई बार जा ही रहा बार बार कोई का फोन जब्त है कोई दिन ब दिन बनता जा रहा सख्त है कोई का अतीत उसे लपेट रहा कोई अतीत को ही लपेटने मे लगा है कोई ज्ख्मो पे मरहम लगा रहा कोई किसी को जख्म देने का सोच रहा हर कोई किसी ना किसी होर मे है कोई बांध के डोर तो कोई काट के है सब तलबगार हैं रब के रहमत की हर को अप्ने आश की आसार है सब साले कमीने अपने यार है