एक ही पेड़ के चाव् थे हम दोनो पर दोनो की परछाईं अलग हो गई तु समझदार और मैं नासमझ हो गई हर जिम्मेदारियों को अकेले ही निभा गई और मुझे गैरजिम्मेदार बना गई तु छोटी है अभी कहकर हर काम मेरा करती थी ओ दीदी तु मुझे आज कामचोर बना गई मेरी हर जिद को पूरा कर मुझे जिद्दी बना गई अपना सौक को मार मेरा हर सौख पूरा कर गई जब व जिंदगी मे मैं डगमगाई हमेशा तु मुझे सम्हाल गई कभी न मानना हार मुझे ये गुर सिखा गई समझदार तो नही थी कभी मैं पर तेरी कमी मुझे जिम्मेदार बना गई - chitra तु मुझे आज for my sister