मेरे नसीब में तारीफ ही तारीफ लिखी है बस फर्क है मेरी सराहना के बजाय विटंबना लिखी है जब भी करता हुं किसी काम कि तैयारी सडेली अक्कल मेरी गलतिया ही करती है नशीब को मानती नही लेकिन सच को निगलना जानती नही बडे नशीब से मिला है जनम नशीब तु कहाँ यह जानता है पल भर के प्यार को वोह उम्र भर की साथ कहता है मेरे नशीब मे मै नशीब वाला नही हुं बल्की नशीब को नशीब से नशीली दवा देता हुं । #naseeb