मुझको क़बूल कर मेरे महबूब सातों जनम चाहूंगा तुझको लगा कर सीने से मैं उम्र सारी बिताऊंगा खुद को मैं तेरे कदमों मैं डाल दुं मंजूर है मुझे जमाने को छोड़कर मैं तुझको अपना बनाऊंगा तेरे इक इशारे पर मैं ज़िन्दगी कुर्बान कर देता हूँ तेरी जुल्फों की छांव में आशियां अपना बनाऊंगा तेरे हर ख्वाब को हक़ीकत की जमीन का वादा है तुझसे जुदा होकर मैं इक पल भी ना रह पाऊँगा तुझसे मुझे ऐसा नेह लग गया है मत पूछ नेहा तूं जो ना मिली तो अब खा के जहर मर जाऊंगा मर जाऊंगा