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इश्क को जेवर , पैसो को मजदुर कर दिया,बहोत सी चली आ

इश्क को जेवर , पैसो को मजदुर कर दिया,बहोत सी चली आयी मजदूरी करने ,जिंदगी को  आ यना  बनाके कीतनो को दूर कर दिया!

©Prathamesh Gawade #_poetry
इश्क को जेवर , पैसो को मजदुर कर दिया,बहोत सी चली आयी मजदूरी करने ,जिंदगी को  आ यना  बनाके कीतनो को दूर कर दिया!

©Prathamesh Gawade #_poetry