मात्र माटी हूँ मै,कोई वजूद नही मेरा,पर जब जब मैं हाथ लगी जीवन सँवरा मेरा, एक कुम्हार ने सुंदर आकार में उकेरा,अपने कौशलता भरे हाथों को मुझ पर फेरा, छेनी हथोड़ी की मार को फिर मैंने सराहा, एक जौहरी ने बना दिया मुझे हीरा, एक शिक्षक ने अपने ज्ञानज्योति से अंधेरों में भर दिया मेरे सवेरा, इतिहास गवाह हैं, माटी का मोल,तराशने पर लगाया जाता हैं , कोई भी परिवर्तन का हिस्सा बनता हैं तो जीना औऱ सहना पड़ता हैं , बिना किसी के परिश्रम भरे हाथो से कोहिनूर नही बनता हैं, मानो तो जीवन का सारा समाया समूल,न मानो तो यह माटी हैं मात्र धूल।।। 🎀 Challenge-259 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।