कारवा थम से गए है मजहब के सबब के, जवाबतलब है सारा जहा आज, मेहराब कुटुंब के अवलंब है आज, तरतीब तलब के बदनसीब है आज, मुनासिब हो से गए है ज़रब के अदब के कारवा थम से गए है मजहब के सबब के, जवाबतलब है सारा जहा आज सुनी है सारी गालिया आज ना गीता का ज्ञान है ना है क़ुरान की अज़ान दूर दूर तक खुला रेगिस्तान है कल तक कहे जाने वाले आशियाने आज बीएबान है ना रोटी है ना कपडा है ना मकान है हर राजा बना रंक है आज कारवा थम से गए है मजहब के सबब के जवाबतलब है सारा जहा आज सोचता हु फिर से नयी दुनिया बसा लू जहा सिर्फ चमत्कार हो बलात्कार ना हो जहा सिर्फ सिस्टाचार हो भ्रस्टाचार ना हो जहा सिर्फ हसना गुलना हो किसी की किसी से तुलना ना हो इस दुनिया का करना नवनिर्माण है आज कारवा थम से गए है मजहब के सबब के जवाबतलब है सारा जहा आज ............ सार्थक कर्णाटक last man alive( अस्तित्वमाये) full poem #अस्तित्वमये #नोज़ोटो #poem #nozotohindi