मुझसे तो खुशनसीब है ये हवा,हवा बनके.. कम से कम ज़िन्दगी देती है सबको दवा बनके। एक ही प्रश्न कब से मेरे,जहन में है कौंध रहा.. छोड़कर जाते क्यों हैं लोग हमनवा बनके।। #anandmaurya