मय की मधुशाला में मदमस्त दीवाना आया है, बज्म-ए-सुरा में वो आज खाली पैमाना लाया है, वाह रे!साकिया बाकमाल क्या जाम पिलाया है, मदहोश हो आज मेरा रश्क़-ए-क़मर नज़र आया है, दिल-ए-मुराद अब पूरी हो गई कुछ रहा न बाकी, मयकशी में भी ए ख़ुदा हुस्न-ए-दीदार करवाया है, बस अब जीने की तमन्ना मानो ख़त्म सी हो गई है, देखो आज मेरी मौत का साज़ो-ए-सामान आया है, एक दीदार को प्यासा था जो मोहब्बत मुझसे रूठी थी, आज वो क़ब्र पर मेरी महक-ए- गुल-ए-चादर लाया है।। "अजीज/प्रिय" "कातिबों/लेखकों" 👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है 👇👇👇 🌻"क़मर/قمر"🌻 🌸"Qamar"🌸 👉तहरीर/मतलब- चाँद