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हम दूसरों को खुशी देने की चाहत में, गम क्यों दे जा

हम दूसरों को खुशी देने की चाहत में,
गम क्यों दे जाते हैं,
इरादा होता है, पक्का मकां बनाने का।
कम्बख्त इसी गुफ्तगू में काँच की खिड़कीयाँ
तोड़ जाते हैं।

ओ टुकड़े आते हैं मेरे तरफ भी,
क्या कहें इन दगाबाज हवाओं को
हर बार गम का रूख मेरे तरफ ही मोड़ जाते हैं।

कदर ही नही है यहाँ प्यार की,
कहाँ मोल है, भावनाओं के संसार की।

अक्सर इरादा होता है, बगिया को महकाने का, 
और इसी गलतफहमी में अक्सर कुचले जाते है। 

हम दूसरों को खुशी देने की चाहत में 
गम क्यों दे जाते हैं। 

Gaurav ritika shukla #raindrops  bagiya को mahkane ki chaht me khud hi kuchale jate hai
हम दूसरों को खुशी देने की चाहत में,
गम क्यों दे जाते हैं,
इरादा होता है, पक्का मकां बनाने का।
कम्बख्त इसी गुफ्तगू में काँच की खिड़कीयाँ
तोड़ जाते हैं।

ओ टुकड़े आते हैं मेरे तरफ भी,
क्या कहें इन दगाबाज हवाओं को
हर बार गम का रूख मेरे तरफ ही मोड़ जाते हैं।

कदर ही नही है यहाँ प्यार की,
कहाँ मोल है, भावनाओं के संसार की।

अक्सर इरादा होता है, बगिया को महकाने का, 
और इसी गलतफहमी में अक्सर कुचले जाते है। 

हम दूसरों को खुशी देने की चाहत में 
गम क्यों दे जाते हैं। 

Gaurav ritika shukla #raindrops  bagiya को mahkane ki chaht me khud hi kuchale jate hai