अभी उन्माद ना कोई नही आवेश बाकी है है दिल बेताब फटने को मेरा नाराज साथी है है मन में रोष भी बाकी ले वो आक्रोश बैठी भी फटेगा कौन कब किस पर घड़ी आनी वो बाकी है अभी कुछ दिन चलेगा ही दोष दायित्व दिखलावा अचानक कर पकड़ गलती फटेगा फूटकर लावा तमस का तांडव होगा तेरा मेरा मेरा तेरा तहस होगा नहस घर भी कोई या कुछ जो टूटेगा तभी मुद्दा ये बदलेगा नई शुरुआत का वादा शपथ खाकर ही सुधरेगा मगर वो बात बाकी है मेरा नाराज है साथी है ©दीपेश #Katti