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आर्य संस्कृति के पालक, पोषक व रक्षक, वेदों के प्रक

आर्य संस्कृति के पालक, पोषक व रक्षक, वेदों के प्रकाण्ड विद्वान, भगवान श्री राम के परम मित्र बजरंग बली हनुमान के जन्मोत्सव पर उन्हें नमन..... 

वज्र के समान अंग लेकर के जनमे थे,
बजरंग बली कहलाये हनुमान जी।
रावण की लंका को जलाकर के आये और,
माता सीता का पता ले आये हनुमान जी।
लक्ष्मण जी का जीवन बचाने के लिए भी,
संजीवनी लेकर के आये हनुमान जी।
राम जी के सारे कष्ट-संकटों को दूर कर,
राम जी के भक्त कहलाये हनुमान जी।।

बन्दर बता के काहे करते हो अपमान,
काहे करते हो नाश उनके सम्मान का।
प्यारे हिन्दू भाइयो न बन्दर उसे बताओ,
कीजिये सम्मान उस पुरखे महान का।
बन्दर नहीं थे महामानव हमारे थे वो,
दिल में था भाव चार वेद वाले ज्ञान का।
बल, तेज, ज्ञान में वो सबसे महान थे जी,
ऐसा था चरित्र मेरे वीर हनुमान का।।

राम संग मिल कर लोगों का कल्याण किया,
फिर से हँसा दिए थे त्रस्त हनुमान ने।
राम जी का वज्र बन आताताई मार दिये,
दुष्ट राक्षस किये थे नष्ट हनुमान ने।
रावण के सारे खानदान का विनाश किया,
मार ही दिये थे सारे भ्रष्ट हनुमान ने।
सीता का पता लगाया, रावण को मरवाया,
राम के हरे थे सभी कष्ट हनुमान ने।।
आर्य संस्कृति के पालक, पोषक व रक्षक, वेदों के प्रकाण्ड विद्वान, भगवान श्री राम के परम मित्र बजरंग बली हनुमान के जन्मोत्सव पर उन्हें नमन..... 

वज्र के समान अंग लेकर के जनमे थे,
बजरंग बली कहलाये हनुमान जी।
रावण की लंका को जलाकर के आये और,
माता सीता का पता ले आये हनुमान जी।
लक्ष्मण जी का जीवन बचाने के लिए भी,
संजीवनी लेकर के आये हनुमान जी।
राम जी के सारे कष्ट-संकटों को दूर कर,
राम जी के भक्त कहलाये हनुमान जी।।

बन्दर बता के काहे करते हो अपमान,
काहे करते हो नाश उनके सम्मान का।
प्यारे हिन्दू भाइयो न बन्दर उसे बताओ,
कीजिये सम्मान उस पुरखे महान का।
बन्दर नहीं थे महामानव हमारे थे वो,
दिल में था भाव चार वेद वाले ज्ञान का।
बल, तेज, ज्ञान में वो सबसे महान थे जी,
ऐसा था चरित्र मेरे वीर हनुमान का।।

राम संग मिल कर लोगों का कल्याण किया,
फिर से हँसा दिए थे त्रस्त हनुमान ने।
राम जी का वज्र बन आताताई मार दिये,
दुष्ट राक्षस किये थे नष्ट हनुमान ने।
रावण के सारे खानदान का विनाश किया,
मार ही दिये थे सारे भ्रष्ट हनुमान ने।
सीता का पता लगाया, रावण को मरवाया,
राम के हरे थे सभी कष्ट हनुमान ने।।