हरजाई दिल में लिए हसरत वो फिर लौट आई बरसों से थी जो सीने पे चोट खाई कोशिश करी उसने तुमकों बहुत मनाने की पर निकला वो जालिम पूरा हरजाई कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद हरजाई.... कीर्तिप्रद