खोने का क्या है ,खो तो हर कोई जाता है ! कभी अपनी कुछ कहानियों में ! कभी जिंदगी की ,कुछ परेशानियों में ! उलझने रहती हैं ,बहुत अभी भी , मेरे इस किरदार में ! कुछ कमियां हैं बाकी ,जिनको हर रोज में! पूरा करने की कोशिश करती हूं ! कभी अपनी ही जिंदगी के ,उन किस्सों के पन्नों को! संभालने की कोशिश करती हूं , जो बिखर गए हैं कहीं! समेटने की कोशिश तो बहुत की मैने, पर वो ना कमयाब ही रही! ©pari dixit #kitaabein #paridixit447 #Love #Poetry #Love #true #SAD