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कुछ तेरे हक़ में नही बोलेंगे, तेरे खिलाफ भी नही बोल

कुछ तेरे हक़ में नही बोलेंगे,
तेरे खिलाफ भी नही बोलेंगे।

हमसे कुछ और बुलवा लो,
हम इंकलाब भी नही बोलेंगे।

कोई सवाल नही इंसानियत पे,
लेकिन जवाब भी नही बोलेंगे।

शहर में कुछ भी अच्छा नही,
पर सब ख़राब भी नही बोलेंगे!

तुम जो कह रहे ना-मुमकिन है,
ख़्वाब?,उसे ख़्वाब भी नही बोलेंगे। कुछ तेरे हक़ में नही बोलेंगे,
तेरे खिलाफ भी नही बोलेंगे।

हमसे कुछ और बुलवा लो,
हम इंकलाब भी नही बोलेंगे।

कोई सवाल नही इंसानियत पे,
लेकिन जवाब भी नही बोलेंगे।
कुछ तेरे हक़ में नही बोलेंगे,
तेरे खिलाफ भी नही बोलेंगे।

हमसे कुछ और बुलवा लो,
हम इंकलाब भी नही बोलेंगे।

कोई सवाल नही इंसानियत पे,
लेकिन जवाब भी नही बोलेंगे।

शहर में कुछ भी अच्छा नही,
पर सब ख़राब भी नही बोलेंगे!

तुम जो कह रहे ना-मुमकिन है,
ख़्वाब?,उसे ख़्वाब भी नही बोलेंगे। कुछ तेरे हक़ में नही बोलेंगे,
तेरे खिलाफ भी नही बोलेंगे।

हमसे कुछ और बुलवा लो,
हम इंकलाब भी नही बोलेंगे।

कोई सवाल नही इंसानियत पे,
लेकिन जवाब भी नही बोलेंगे।