हवा ने उनकी ज़ुल्फ़ों को कुछ यूँ छुआ, कि वो घटा बन लहराने लगी, ओढ़ कर धानी चुनर सर पर नज़रे झुका कर शरमाने लगी। -Neha_Pandya #ज़ुल्फें