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व्यक्ति मैं बल हो किन्तु आत्मा मैं बल न हो तो व्यक

व्यक्ति मैं बल हो किन्तु आत्मा मैं बल न हो तो व्यक्ति सकल्पहीन हो जाता है ।
 आत्मा का आहार है उपासना यदि संकल्प मे विकल्प उत्पन्न हो रहा है तो समझ लेना चाहिए कि आत्मा को आहार से निश्चित वंचित कर के रक्खा गया है, अर्थात उपासना की कमी है ।
व्यक्ति मैं बल हो किन्तु आत्मा मैं बल न हो तो व्यक्ति सकल्पहीन हो जाता है ।
 आत्मा का आहार है उपासना यदि संकल्प मे विकल्प उत्पन्न हो रहा है तो समझ लेना चाहिए कि आत्मा को आहार से निश्चित वंचित कर के रक्खा गया है, अर्थात उपासना की कमी है ।