सर्वोद्वार,सर्वहित, सहृदयता, के निज से हुआ मेरा नामाभिषेक आरक्षण, दलित,दमित, कुत्सित व पीड़ित भेद कर बुर्जुआ कर रहा था नित भक्षण, मम जनक श्री अम्बेडकर जी कहलाये, कुछ समय के लिये देश मे जन्म दिलाये, शिशु से प्रौढ़ हो जाने पर भी मेरा देश निःसृह्त लालचियों ने अभी तक न कराये, ले मेरा सहारा स्वयं के कार्यसम्पन्न करते है,मैं निर्दोष हूँ ,मुझे आरक्षणासुर बुलाये, नित नित आज अपमानित हुई देश उद्वार में आई, आज मुझ पर सब कुदृष्टि डाले, गणतंत्र भारत मे समानता जैसा मुद्दा किया अनदेखा,अवगुणी की बदली भाग्यरेखा, सम्पूर्ण जीवन इस बैसाखी का ले सहारा अप्रतिभावान बनाते है अपनी भविष्य रेखा, अरक्षण के लालच में कुमानसिक्ता संपूर्ण राष्ट्र को बारम्बार करता भ्रमित है, प्रतिभाशाली, होनहार का गला घोंट,अल्पज्ञानी करता राष्ट्र का मान खंडित है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ.. 🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों का प्रतियोगिता:-०९ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐 🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार किया जाएगा।