रख दूंगा सूरज को भी अपने हथेली में.. आने दे तो उसे इक बार नाचीज़ के हवेली में.. रोशन ख़ुद को और जहां को करता हूं मैं भी.. ज़िक्र मेरा भी शुमार है अब तो दुनिया की पहेली में.. बड़ा बनने कि राह नहीं देखता आफ़्ताब तुझसे मैं.. बस हुनर सीखना है तेरा हमें इस ज़िंदा रंगरेली में. ख़ुद को जला कर..सैर करता है तू चारों ओर.. आख़िर क्या कमी है ....जो ज़िन्दगी गुजर रही तुफ़ैली में? तुफ़ैली - आश्रित(dependent/dependency)