आसुओं की चाशनी में हर रोज़ घुलाया जाता हूं , बेकसूर हूं फिर भी तो रोज आजमाया जाता हूं..! आफताब ना सही इक जुगनू ही सही , हर रोज ख़ुद ही मैं जलाया जाता हूं...! कुछ दर्द और ख़्वाब तो कब के दफना दिए मैंने, कुछ नए ख़्याल रोज फ़िर आसमां से तोड़ लाया करता हूं ..! अब परवाह नहीं किसी वक्त या इंसा के बदलने का, शाम ढलते ही एक सुकून ढूंढ लाया करता हूं...! नहीं बदलना अब खुद को तुम्हारे हिसाब से , फटे लिबास में भी खुद को ढूंढ आया करता हूं...! ना सुने कोई फिर भी, कुछ गुनगुनाया करता हूं...! ख़ुद ही के लिए बेहिसाब , बस मुस्कुराया करता हूं ...! आसुओं की चाशनी में यादें घुलाया करता हूं..!! ख़ुद ही के लिए बेहिसाब , बस मुस्कुराया करता हूं ...! -A.r शेरनी #जिंदगीकेसफ़रमे #जिंदगी_तेरे_साथ #yqquotes #yqbaba #yqdidi