आबाज था मेरे जगाना उम्मिद थे पुरि उभर ने का पर तकदिर बदल् दिया कैन्सि दिशहरा पातक् ने उलझ गई भटक गई शिमट गई रुक् गई टुट गई सब तम्मनाये,मन दिशाहरा पथ पे फिर् भि मन कि बल् से चला था ईश दर्दि दिल् ने उम्मिद् कि बिज् को ढला दिया तुने बिनय उस् दानब को जो उस् बिज को नहि टिक्क् ने नहि देते उस् बिज एक दिन् तेरा ढाल होगा | 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©NIRANJAN #Dark of lightness