नज़्म बनानी है ये लफ़्ज़ साथ नहीं देते... स्याही कम पड़ गयी है शायद, क़लम अल्फ़ाज नहीं देते । क़लम बेताब हैं अफ़साने बयां करने को.. गुस्ताखी इन लबों की लब आवाज़ नहीं देते ।। परीक्षित (बस अब लिखने के लिए क़लम भी रूठ गई है और क्या-क्या देखना होगा इस 2020 में...#RIP_ RAHAT _INDORI) #RIPRahatIndori