"इधर अंगूठा लगा दो" "ये लो 50 रुपया चलो आगे बढ़ो" "मगर साहिब आधा तो 73 रिपिया होता है हिसाब से" "हमें हिसाब सिखाएगा तू , इन्जीनियर और मुखिये का हिसाब कौन तेरा बाप करेगा चलो आगे" "लखन कुमार ,पुत्र किशन कुमार चलो इधर अंगूठा लगा दो" "नहीं साहेब हम काम खातिर आये रहे काम कर के पुरा पैसा चाही हमका" "हा हा इ देखो बेवकूफ अरे इधर फ़्री में 50 रुपया मिल रहा लै लो उधर मुखिया के खेत में जाय के काम कर लो " "नहीं साहेब हम इ हराम का पैसा नहीं लेंगे हम काम कर के पुरा पैसा लेंगे काम नहीं है तो इन्तजार कर लेंगे सरकारी वादा है सौ दिन काम देना ही होगा हम लूट में हिस्सा नहीं लेंगे " " लखनवा ठीक कहता है लूट में हिस्सा नहीं लेंगे " "आप रहने देओ नगरसेवक साहब आप के बस का नहीं है हम अभी ठीक करते हैं इस नालायक को " "जी मुखिया जी" "काहे रे लखनवा लगाते हो अंगूठा की करें दारोगा को फोन और कहे उनसे की तैने मेरे खेत से फसल चुराया है ।" ""मगर मुखिया हम कब चुराये तुम्हारा फसल " "साबित कैसे करेगा की नहीं चुराया है ।" "जाने दो मुखिया लखनवा बच्चा है हम सव तैयार हैं अंगूठा लगाय खातिर ।" #अंगूठा