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सुबह का आलम ऐसा है ,नए-नए बालम जैसा हैं कभी सुहान

सुबह का आलम ऐसा है ,नए-नए बालम जैसा हैं 
कभी सुहाना लगता है ,कभी मसताना लगता है
जोश उमंग से भर देता है, बिल्कुल मां के आंचल जैसा है
  पक्षियों की चहचहाहट है , और ना कोई  आहट है 
चारों तरफ है निरी खामोशी,बस मिल जाने की चाहत है 
सुबह का आलम ऐसा है ,नए -नए बालम जैसा है
 मंद-मंद है हवा ये बह रही, मेरे कानों में आकर है कह  रही
थोड़ा सा कष्ट उठाया कर, सुबह मिलने मुझे आया कर 
पूरा मुझमें दौर मिलेगा ,मुझसा ना कोई और मिलेगा 
पास झुलता झूला बोला ,गुड़िया को भी लाया कर
 उसकी ही ही हंसी कानों में ,हमें भी तो सुनाया कर 
बाकी तो फिर पूरा दिन तेरा, हर ही दिन के जैसा है
 सुबह का आलम ऐसा है ,नए-नए बालम जैसा है

©Rahul Panghal #Morning  Ajay Kumar vkcareerguru UbaidKamaal Niku Singh Maltey Nisha Singh  #क्रांतिकारी
सुबह का आलम ऐसा है ,नए-नए बालम जैसा हैं 
कभी सुहाना लगता है ,कभी मसताना लगता है
जोश उमंग से भर देता है, बिल्कुल मां के आंचल जैसा है
  पक्षियों की चहचहाहट है , और ना कोई  आहट है 
चारों तरफ है निरी खामोशी,बस मिल जाने की चाहत है 
सुबह का आलम ऐसा है ,नए -नए बालम जैसा है
 मंद-मंद है हवा ये बह रही, मेरे कानों में आकर है कह  रही
थोड़ा सा कष्ट उठाया कर, सुबह मिलने मुझे आया कर 
पूरा मुझमें दौर मिलेगा ,मुझसा ना कोई और मिलेगा 
पास झुलता झूला बोला ,गुड़िया को भी लाया कर
 उसकी ही ही हंसी कानों में ,हमें भी तो सुनाया कर 
बाकी तो फिर पूरा दिन तेरा, हर ही दिन के जैसा है
 सुबह का आलम ऐसा है ,नए-नए बालम जैसा है

©Rahul Panghal #Morning  Ajay Kumar vkcareerguru UbaidKamaal Niku Singh Maltey Nisha Singh  #क्रांतिकारी