सूखी रोटी भी बांटकर खाई जिसने वो भिखारी तो शहनशाह से बढ़कर निकला। मेरे होठो से दुआ उसकी जुवां से गाली निकली जिसमे जो छुपा था वहीं बाहर निकला। जिंदगी भर जिसे देखकर इतराते रहे सारा वो अभिमान तो मिट्टी की धरोहर निकला। घमड जिंदगी का बेमानी है बस सोच ऊंची बनानी है #nojotohindi