मैं कपास के खेतों में खड़ा हो कर देखता हूँ जिंदगी कैसे उड़ी जा रही है हवाओं की तासीर भी कितनी बेपरवाह होती है उलझ जाए तो बवंडर बन जाती है सुलह जाए तो पतंग कपास कैसे धीर धरे वो आसमानों में तैरते बादलों को देख कर अक़्सर ख़्वाब संजो लेती है और धर देती है पैर हवाओं की हथेली पर वो बिजली के तारों से उलझी उलझी बेताल सी लटकी हसरतें कपास के खेतों से कहाँ नज़र आती हैं मैं कपास के खेतों में खड़ा हो कर देखता हूँ जिंदगी कैसे उड़ी जा रही है #कपास #kapas #mera_aks_paraya_tha #mikyupikyu #tasavvuf #kavishala #hindinama #nojotopune #meethashona