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" तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं , सहर को शाम कर

" तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं ,
सहर को शाम कर के बैठे हैं ,
बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे ,
तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." 

                                --- रबिन्द्र राम " तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं ,
सहर को शाम कर के बैठे हैं ,
बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे ,
तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." 

                                --- रबिन्द्र राम 
सहर ( सुबह )
" तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं ,
सहर को शाम कर के बैठे हैं ,
बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे ,
तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." 

                                --- रबिन्द्र राम " तमाम हसरतें ख्याल कर के बैठे हैं ,
सहर को शाम कर के बैठे हैं ,
बस कर की कुछ और दिलचस्प ना लगे ,
तेरी तिसनगी का शौख सरेआम कर बैठे हैं ." 

                                --- रबिन्द्र राम 
सहर ( सुबह )