"फूल चाहे बाग-बगीचे में खिले, या कीचड़ में, प्रकृति कभी भेदभाव नहीं करती, इसका बीड़ा तो इंसान, उठाये घूमता है, खुद में चाहे लाँखो कमियां हो, पर नज़र दूसरों की ही आती हैं, पर फूल , फूल ही होता है, चाहे जमीं पर उगे, या कीचड़ में।।" पायल कश्यप। फूल।