आसान मंज़िल बिना महोब्बत का नसीब लिए फिरता हूँ इतनी आसान मंज़िल नहीं हैं मैं कब से उसकी तालाश में निकला फिरता हूँ दिन से रात.. रात से सुबह हो गई यादें भी उसकी ...उसके इंतजार में बावरी हो गई जो भी मिलता हैं राह में उसकी तरफ का मैं हर उस शख्स से उसका पता पूछते फिरता हूँ #दिपकमल 20/3/2021✍🙏 ©Deep kamal #WForWriters