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चांदनी रात में समां भी फिकी लगती है,, एहसासों की त

चांदनी रात में समां भी फिकी लगती है,,
एहसासों की तपिश भी अधूरी सी लगती है,,

शब्दों का असर जब गहरा हो जाता है
तब सांसों के स्वर निकलते हैं,,,

जज्बातों की आंधी में जाने कितने दिल पिघलते है,,,
ख्वाबों की चादर ओढ़े जब दो जिस्म तन्हा मिलते हैं,,,

मखमली खयालों से दमकता है जब सिरहाने का तकिया,,
भीनी भीनी खुशबू लिए और भी नरम मुलायम लगता है,,,, चांदनी रात में समां भी फिकी लगती है,,
एहसासों की तपिश भी अधूरी सी लगती है,,

शब्दों का असर जब गहरा हो जाता है
तब सांसों के स्वर निकलते हैं,,,

जज्बातों की आंधी में जाने कितने दिल पिघलते है,,,
ख्वाबों की चादर ओढ़े जब दो जिस्म तन्हा मिलते हैं,,,
चांदनी रात में समां भी फिकी लगती है,,
एहसासों की तपिश भी अधूरी सी लगती है,,

शब्दों का असर जब गहरा हो जाता है
तब सांसों के स्वर निकलते हैं,,,

जज्बातों की आंधी में जाने कितने दिल पिघलते है,,,
ख्वाबों की चादर ओढ़े जब दो जिस्म तन्हा मिलते हैं,,,

मखमली खयालों से दमकता है जब सिरहाने का तकिया,,
भीनी भीनी खुशबू लिए और भी नरम मुलायम लगता है,,,, चांदनी रात में समां भी फिकी लगती है,,
एहसासों की तपिश भी अधूरी सी लगती है,,

शब्दों का असर जब गहरा हो जाता है
तब सांसों के स्वर निकलते हैं,,,

जज्बातों की आंधी में जाने कितने दिल पिघलते है,,,
ख्वाबों की चादर ओढ़े जब दो जिस्म तन्हा मिलते हैं,,,
vandana6771

Vandana

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