यश के ऊचे अधियारें में, चमक रहे नव युग तारे, वो रुके नहीं जो थके नहीं, साहिल से चढ़कर खींचे तारे (pranjal patil)। सदियों से अज्ञान अंधेरा, धर्म जाति मतभेद रहे। इन सबको अब दूर करे, और खुशियों से हम भरपूर्ण रहे। सतयुग त्रेता द्वापर बीते, कलयुग भी अब बीत रहे। बेटी बोझ नहीं होगी, मिलकर हम सब वचन करे। जहां दे रहे पुण्य सभी को, वीरो के बलिदान अमर रहे। अग्रदूत बन जाए देश, जो अनुपम स्वर्ण विधान रहे। भारत मां के वीर सपूतों की, इच्छाशक्ति महान रहे। दुश्मन भी थर्रा जाए, जब दिल में हिंदुस्तान रहे। नई चेतना नई सोच से, जीवन सबके बदल रहे। नव युग है अब नए दौर में, मिल कर के हम साथ रहे। जले ज्योति जो जीवन के मन में, जीवन भर यूं ही जली रहे। तन्मय तिमिर ना आने पाए, ज्योतिर्मय जीवन बना रहे। तन्मय तिमिर ना आने पाए ज्योतिर्मय जीवन बना रहे। - सूरज कुमार देश की पहली महिला नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर को समर्पित (प्रांजल पाटिल) "यश के ऊंचे अंधियारे में चमक रहे नवयुग तारे............