Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुमसे नज़रे हट के भी ना हटी,और कुछ पल के लिए कोशि

तुमसे नज़रे हट के भी ना हटी,और कुछ 
पल के लिए कोशिश की हटाने की तो 
जाना तुम्हारे अलावा भी एक दुनिया थी मेरी।
सिलसिला फिर बस यूं ही चलता रहा,
मै आती तुमसे मिलने और तुम्हारा
मन हवाओं की तरह भटकता रहा।
मैंने याद किया हर पल तुमको,
और इस बात की भनक भी ना लगने दी।
सवाल पे सवाल ने घेरा मुझको
आखिर किसी और के किए की सज़ा
तुमने हमको क्यों दी।तुम्हारा बदलना ठीक था,
मेरा संभलना ठीक था।पर तुम्हारा बदलकर दूरियां 
बना लेना,और फिर अकेले रह कर मुझे 
भी अकेला कर देना,कहां तक ठीक था।
तुम वजह थे सुकून की अब बेचैनी का कारण हो।
तुम थे तो मुस्कुराती थी मन से,अब तो 
लगता है अधूरा बंजर सा कोइ दामन हो।
हां गलती मेरी ही थी शायद,दिमाग 
के बजाए तुम्हे दिल मे जगह दे दी।
पर तुम ही बताओ,और कैसे रोकती तुम्हारे,
बारे में सोचना।ये तो यूं हुआ की प्यास भी 
लगे पानी भी हो पर पीने की उसे इजाज़त ही ना हो।
खेर जो हुआ उसका अफसोस नहीं करती,
हां याद करती हूं कई बार,पर अब इजहार
नही करती।ऐसा नही की तुम्हारे बिना 
तन्हा हूं,मै रह लेती हूं ख़ुश आज भी,
बस थोड़ी सी ख़ुद से खफा हूं।
मै ठीक हूं,सब ठीक है बस तुम ठीक हो या नही,
एक इसी सवाल मे गुम हूं।एक इसी सवाल मे गुम हूं। — % & बस यूं ही......
एक पल में आने वाला खयाल
एक पल में चला जाता है।
एक पल मे शब्द अनेक,
अनेक शब्दों में एक पल
का अहसास दे जाता है।
बस यूं ही.........
तुमसे नज़रे हट के भी ना हटी,और कुछ 
पल के लिए कोशिश की हटाने की तो 
जाना तुम्हारे अलावा भी एक दुनिया थी मेरी।
सिलसिला फिर बस यूं ही चलता रहा,
मै आती तुमसे मिलने और तुम्हारा
मन हवाओं की तरह भटकता रहा।
मैंने याद किया हर पल तुमको,
और इस बात की भनक भी ना लगने दी।
सवाल पे सवाल ने घेरा मुझको
आखिर किसी और के किए की सज़ा
तुमने हमको क्यों दी।तुम्हारा बदलना ठीक था,
मेरा संभलना ठीक था।पर तुम्हारा बदलकर दूरियां 
बना लेना,और फिर अकेले रह कर मुझे 
भी अकेला कर देना,कहां तक ठीक था।
तुम वजह थे सुकून की अब बेचैनी का कारण हो।
तुम थे तो मुस्कुराती थी मन से,अब तो 
लगता है अधूरा बंजर सा कोइ दामन हो।
हां गलती मेरी ही थी शायद,दिमाग 
के बजाए तुम्हे दिल मे जगह दे दी।
पर तुम ही बताओ,और कैसे रोकती तुम्हारे,
बारे में सोचना।ये तो यूं हुआ की प्यास भी 
लगे पानी भी हो पर पीने की उसे इजाज़त ही ना हो।
खेर जो हुआ उसका अफसोस नहीं करती,
हां याद करती हूं कई बार,पर अब इजहार
नही करती।ऐसा नही की तुम्हारे बिना 
तन्हा हूं,मै रह लेती हूं ख़ुश आज भी,
बस थोड़ी सी ख़ुद से खफा हूं।
मै ठीक हूं,सब ठीक है बस तुम ठीक हो या नही,
एक इसी सवाल मे गुम हूं।एक इसी सवाल मे गुम हूं। — % & बस यूं ही......
एक पल में आने वाला खयाल
एक पल में चला जाता है।
एक पल मे शब्द अनेक,
अनेक शब्दों में एक पल
का अहसास दे जाता है।
बस यूं ही.........