नीदो के लुटेरे आज खाब लाये है मेरे जुगनुओं के दुशमन आफताब लाएं है बंजर पडीं जमीं को सींचने के लिए झूठी आखों में आशाओं का सैलाब लाएं है चंदन के व्यापारीयो के दिमाग तो देखो पतझड़ में अनारो के बांग लाएं है अच्छे दिनों की उम्मीद उनसे कल का शहर क्या करें जो आज बस्ती जलाने को हाथों मे आग आए हैं ए शायर तेरी शायरी को वो भला क्या निखारे गे जो तेरे दामन पर लगाने को सौ दाग लाएं है 100 सौ दाग (Meer) Musher Ali