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तुम्हारी आंखें कहती है- खामोश क्यों हो कान्हा मुझ

तुम्हारी आंखें कहती है- खामोश क्यों हो कान्हा
 मुझ में किसको ढूंढ रहे हो तुम 
मुझे गौर से देखो तुम्हारी ही छवि है कान्हा
आईना समझकर मुझमें खुदको संवार लो तुम
मैं नयन हूं आंसुओं से डूबा दो कान्हा

©Subrato Das Tried to write something. Please comment your feedback.

#stay_home_stay_safe #startedwriting #newpoet
तुम्हारी आंखें कहती है- खामोश क्यों हो कान्हा
 मुझ में किसको ढूंढ रहे हो तुम 
मुझे गौर से देखो तुम्हारी ही छवि है कान्हा
आईना समझकर मुझमें खुदको संवार लो तुम
मैं नयन हूं आंसुओं से डूबा दो कान्हा

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#stay_home_stay_safe #startedwriting #newpoet
subratodas3670

Subrato Das

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