जब ज़िंदा थे ,क्यों ,मोहब्बत बेकदर थी अब ये ईमारत,क्यों , मरने भी नही देती ये जिस्म ही है मूरत ,खूबसूरत है ना! वास्ता किसे हो रूह से,जलने भी नही देती अब ये ईमारत क्यों...मरने भी नही देती #पारस #जिस्म #रूह #इमारत